सोशल मीडिया पोस्ट बना नौकरी में रोड़ा: Jobbie स्टार्टअप ने रद्द किया ₹22 LPA का ऑफर

नई दिल्ली | 3 जुलाई 2025
तेज़ी से उभरते भारतीय स्टार्टअप Jobbie के संस्थापक मोहम्मद अहमद भाटी इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। वजह है—एक प्रतिभाशाली उम्मीदवार को ₹22 लाख सालाना का जॉब ऑफर देने के बाद उसे रद्द कर देना, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके पुराने LinkedIn पोस्ट में कुछ टिप्पणियाँ धार्मिक समुदायों के प्रति आपत्तिजनक मानी गईं।


📌 क्या है पूरा मामला?

Jobbie ने हाल ही में Reddit पर एक पोस्ट की थी, जिसमें कंपनी ने खुलासा किया कि उन्होंने जूनियर डेवेलपर पद के लिए 12,000 से अधिक आवेदनों और 450 इंटरव्यू के बावजूद कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया। इसी पोस्ट के वायरल होने के बाद, एक उम्मीदवार ने खुद संपर्क किया और न केवल आवेदन भेजा, बल्कि Jobbie प्लेटफॉर्म पर ही अपना रिज़्यूमे तैयार कर, सुधार के सुझाव भी दिए।

कंपनी इस पहल और कौशल से इतनी प्रभावित हुई कि ₹20 लाख के बजट के बावजूद उसे ₹22 लाख का ऑफर दे दिया।

लेकिन फिर क्या बदला?

Jobbie के संस्थापक ने एक बयान में कहा:

“ऑफर जारी करने से पहले हमारी टीम ने एक नियमित बैकग्राउंड चेक किया। उस दौरान LinkedIn पर की गई कुछ हालिया सार्वजनिक पोस्ट सामने आईं, जिनमें धार्मिक समुदायों के प्रति अनुचित टिप्पणियाँ थीं।”

इसके आधार पर कंपनी ने जॉब ऑफर वापस ले लिया। साथ ही, दो ईमेल के स्क्रीनशॉट साझा किए—एक में Letter of Intent, और दूसरे में ऑफर रिजेक्शन

भाटी का स्पष्ट संदेश

“कोई कितना भी कुशल क्यों न हो, हमारे लिए सम्मान, मर्यादा और बुनियादी शालीनता अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रतिभा दरवाज़ा खोल सकती है, लेकिन व्यक्ति के मूल्य ही तय करते हैं कि वह भीतर ठहरेगा या नहीं।”


सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

इस फैसले पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आईं।

  • कई यूज़र्स ने इसे साहसी और नैतिक रूप से उचित निर्णय बताया।
  • वहीं कुछ ने इसे ‘कठोर फैसला’, ‘कैंसिल कल्चर’ और विचारों की स्वतंत्रता पर हमला बताया।

यह बहस इस अहम सवाल को जन्म देती है:
क्या सोशल मीडिया पर व्यक्त किए गए विचार पेशेवर जीवन को तय कर सकते हैं?

विश्लेषण: व्यक्तिगत विचार बनाम पेशेवर छवि

  • कंपनियों का नजरिया: आज के दौर में संस्थान अपनी संस्कृति और मूल्यों के प्रति बेहद सतर्क हैं। सार्वजनिक छवि उनके ब्रांड का हिस्सा बनती है।
  • उम्मीदवार की ज़िम्मेदारी: डिजिटल दुनिया में, आपकी सार्वजनिक पोस्ट लंबे समय तक आपके प्रोफेशनल रिकॉर्ड का हिस्सा बन सकती हैं।
  • फ्रेशर्स के लिए सीख: काबिलियत जरूरी है, लेकिन डिजिटल शालीनता और सोशल मीडिया पर विवेकपूर्ण व्यवहार भी उतना ही अहम है।

Jobbie का यह कदम दर्शाता है कि प्रतिभा के साथ-साथ आचार और दृष्टिकोण भी निर्णायक बनते जा रहे हैं। यह घटना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि आज के कॉर्पोरेट माहौल में सामाजिक जिम्मेदारी और डिजिटल नागरिकता के महत्व को भी रेखांकित करती है।

📌 क्या आप मानते हैं कि सोशल मीडिया की पोस्ट पेशेवर अवसरों को प्रभावित कर सकती हैं? या इसे ‘विचारों की सेंसरशिप’ मानते हैं?
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। नीचे कमेंट करें।


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