रायपुर।छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के अंतर्गत आने वाले अभनपुर तहसील में पटवारी पुष्पेंद्र गजपाल को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने एक युवक से 8000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
शिकायतकर्ता जयवर्धन बघेल, जो कि युवा कांग्रेस के विधानसभा अध्यक्ष भी हैं, ने अपनी निजी भूमि के नामांतरण कार्य के लिए पटवारी से संपर्क किया था। नाम चढ़ाने की फाइल आगे बढ़ाने के लिए पटवारी ने उनसे 8000 की मांग की।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
जयवर्धन बघेल ने रिश्वत मांगने की शिकायत ACB रायपुर को दी। सत्यापन के बाद ACB ने ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। तयशुदा योजना के अनुसार, जैसे ही जयवर्धन ने रिश्वत की राशि पटवारी को सौंपी, ACB टीम ने मौके पर छापा मारकर पुष्पेंद्र गजपाल को रंगे हाथों पकड़ लिया।
जब्त सामग्री:
- 8,000 रिश्वत की राशि
- हाथ धुलवाने पर रासायनिक परीक्षण में पुष्टि
कानूनी धाराएँ और आरोप
गिरफ्तार पटवारी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 (लोक सेवक द्वारा रिश्वत मांगना/लेना) और धारा 12 (मददगार की भूमिका) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
ACB अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में यह भी सामने आया है कि पटवारी कर्मचारी कोटवार गौतम कुमार की भी संलिप्तता संदिग्ध है, जिसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

जनता और राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद अभनपुर क्षेत्र के ग्रामीणों और राजनैतिक हलकों में हलचल मच गई। कई स्थानीय नागरिकों ने बताया कि: “पिछले कुछ समय से पटवारी द्वारा बिना लेन-देन के फाइलें आगे नहीं बढ़ती थीं। यह गिरफ्तारी जरूरी थी।”
युवा कांग्रेस नेता जयवर्धन बघेल ने कहा: “सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता लाने और आम जनता को न्याय दिलाने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक थी। भ्रष्ट अधिकारी बख्शे नहीं जाने चाहिए।”
नामांतरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार – एक व्यापक समस्या
अकेले रायपुर जिले के विभिन्न तहसीलों में पटवारी, आरआई (राजस्व निरीक्षक), और तहसीलदार स्तर तक नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन जैसी प्रक्रियाओं में रिश्वतखोरी की कई शिकायतें आती रही हैं।
सिस्टम की कमजोरियाँ:
- डिजिटल प्रक्रिया लागू होने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर रुकावटें
- दस्तावेज़ “लौटाने” या “जांच लंबित” बताकर जानबूझकर देरी
- बिचौलियों के माध्यम से रिश्वत तय करवाना
निष्कर्ष और आगे की राह
अभनपुर में रिश्वतखोरी का यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सिस्टम में बैठे भ्रष्टतंत्र को उजागर करने का प्रतीक है। ACB की सक्रियता एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा करती है कि: क्या हर ग्रामीण को रिश्वतखोर अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत है?